जयपुर । पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति ने मां सुधा मूर्ति अपने बचपन और परवरिश को लेकर बातचीत की। अक्षता ने मां से पूछा कि उन्होंने हमें बचपन में पार्टी क्यों नहीं करने दी, इसका मुझे तब बुरा भी लगा था। इसपर सुधा मूर्ति ने कहा कि उनके पिता नास्तिक थे, वे केवल सेवा में विश्वास करते थे। मां-बेटी की इस बातचीत के दौरान पूर्व ब्रिटिश पीएम और सुधा मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक भी मौजूद थे। इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति भी पत्नी व बेटी के सेशन को सुनने पहुंचे थे।
अक्षता मूर्ति ने बताया कि सीखा कि अगर आप 20 की उम्र में आदर्शवादी नहीं हैं। आपके पास दिल नहीं है, अगर आप 40 के बाद भी आदर्शवादी हैं तब इसका मतलब है। यू डोंट हैव अ ब्रेन। क्या आदर्शवादी होना सिर्फ बचपन तक सीमित है?
इस पर सुधा मूर्ति ने कहा कि मैं 74 साल की उम्र में भी आदर्शवादी हूं। मैंने बच्चों को सिखाया, आपको सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना है। दिल साफ रखना है। जैसा सोचो, वैसा ही बोलो, वैसा करो। ऐसा नहीं कि कुछ सोच रहे, कुछ कर रहे और बोल कुछ और रहे। तभी अच्छी जिंदगी जी पाओगे।